"सुधारे व्यक्ति समाज व्यक्ति से राष्ट्र स्वयं सुधरेगा ,तुलसी अणु का सिंहनाद सारे जग में प्रसरेगा
मानवीय आचार्य संहिता में अर्पित तन मन हो ,संयममय जीवन हो "
के उद्गाता गणाधिपति आचार्य श्री तुलसी जिन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ को
सर्वव्यापी सर्वस्पर्शी सर्वजन सुलभ बनाया एवं राष्ट्रीय चिंतन धारा के
साथ समाहित किया ।यह ग्रन्थ आचार्य तुलसी के जीवन से जुड़े विभिन्न
पहलुऒ को ,उनके चिंतन को ,उनके द्वारा तेरापंथ धर्म को विश्व स्तर
तक पहुचने के अनगिनत प्रयासों और उनके संघर्षो पर विजय की यात्रा
तर्क सहित प्रकट करता है ।ऐसे सर्वांग पूर्ण व्यक्तित्व के धनी महान पुरुष को यह अकिंचन पुष्प "युगद्रस्ठा युगपुरुष-आचार्य तुलसी"ग्रन्थ
सादर समर्पित ।
विजय नाहर